सरकारें आती गई और चिड़ियाघर का नाम बदलती गईं गोरखपुर में भी एक चिड़ियाघर हो, 80 के दशक में मुख्यमंत्री बनते ही पूर्वांचल के विकास पुरुष वीरबहादुर सिंह ने एक उम्मीद जगाई थी। लेकिन यह प्रोजेक्ट अमलीजामा नहीं पहन सका। हालांकि, चिड़ियाघर का सपना तब पूरा होता नजर आया जब वीरबहादुर सिंह के पुत्र फतेहबहादुर सिंह यूपी सरकार में मंत्री बने। बसपा सरकार में तत्कालीन वन एवं जंतु उद्यान मंत्री फतेह बहादुर सिंह ने वर्ष 2007 में चिड़ियाघर निर्माण के लिए वन विभाग को प्रस्ताव बनाने का निर्देश दिया। वन विभाग ने 124.274 एकड़ भूमि में 88.80 करोड़ रुपये की योजना तैयार कर प्रदेश सरकार के पास अनुमति के लिए भेज दिया। प्रदेश सरकार से मुहर लगने के बाद केंद्र सरकार ने भी अनुमति प्रदान कर केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) तथा सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी लेने का निर्देश दिया। कुछ शर्तों के साथ सीजेडए से भी मंजूरी मिल गई। लगभग दो वर्ष बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी मुहर लगा दी। इसके बाद वन मंत्री ने इसकी घोषणा कर दी। 18 मई 2011 को निर्माण कार्य शुरू हुआ। चूंकि, बसपा सरकार में इसकी घोषणा हुई थी तो इसका नाम कांशीराम प्राणि उद्यान रखा गया।
सपा सरकार ने शहीद अशफाउल्लाह खां के नाम पर कर दिया चिड़ियाघर का नाम लेकिन सरकार बदलते ही नाम भी बदल गया। जब सूबे में सपा सरकार में आई तो इस प्राणि उद्यान का नाम बदल दिया गया। समाजवादी सरकार में 25 जनवरी 2014 को आजादी के दीवाने शहीद अशफाक उल्लाह खां के नाम पर इसका नाम रख दिया। तत्कालीन राज्यमंत्री डाॅ.शिव प्रताप यादव ने प्राणि उद्यान के प्र्रशासनिक भवन का लोकार्पण किया। 88 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट के लिए 20 करोड़ रुपये मिट्टी भराई और कुछ अन्य कामों में खर्च कर दिए गए। बसपा सरकार में 88 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट सरकार बदलते ही दोगुनी हो गई। इसके बाद विभिन्न किश्तों में धन आवंटित हुए। कार्यदायी संस्था काम कराती रही। धन खर्च भी होते रहे। लेकिन काम धनाभाव में धीमी गति से होता रहा। कई बार कार्यदायी संस्था ने धन की कमी के चलते काम भी रोका।
योगी कैबिनेट ने रिवाईस एस्टीमेट के प्रस्ताव को मंजूर किया 2017 में जब गोरखपुर को फिर यूपी का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला और सूबे के मुखिया के रूप में योगी आदित्यनाथ आसीन हुए तो चिड़ियाघर जल्द अस्तित्व में आएगा इसकी उम्मीद जगी।
इस चिड़ियाघर के लिए रिवाइज एस्टीमेट बनाया गया। कार्यदायी संस्था ने 181.82 करोड़ रुपये इस परियोजना का लागत तय किया। मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट में अशफाकउल्लाह खां प्राणि उद्यान के लिए 181.82 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया।
इस चिड़ियाघर के लिए रिवाइज एस्टीमेट बनाया गया। कार्यदायी संस्था ने 181.82 करोड़ रुपये इस परियोजना का लागत तय किया। मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट में अशफाकउल्लाह खां प्राणि उद्यान के लिए 181.82 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया।
देशी-विदेशी प्रजातियों से गुलजार रहता चिड़ियाघर गोरखपुर में बनने वाले चिड़ियाघर में बब्बर शेर, टाइगर, जेब्रा, दरियाई घोड़ा के साथ मगरमच्छ की विभिन्न प्रजातियों को रखने का प्रस्ताव है। यहां विदेशी पक्षियों के साथ ही देश-विदेश के 42 प्रजातियों के जानवर रहेंगे। हिरण, जिराफ, गैंडा, तेंदुआ, लकड़बग्घा, भेड़िया, कछुआ, खरगोश, सांप, मछलियों की विभिन्न प्रजातियां भी दिखेंगे।